मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को एक सप्ताह में भूस्खलन या राष्ट्रीय राजमार्गाें के निर्माण के दौरान निकलने वाले मलबे का निपटारा करने के लिए डंपिंग स्थल चिह्नित कर प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने सोमवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्राथमिकता से राजस्व भूमि चिह्नित करने और भूमि मुहैया न होने पर वन भूमि को चिह्नित करने के निर्देश दिए। बैठक में कार्यदायी संस्थाओं ने आगामी पांच साल के लिए 81.99 हेक्टेयर भूमि की जरूरत की जानकारी दी।
सीएस ने एजेंसियों को निर्धारित डंपिंग जोन में ही मलबे के निस्तारण के नियमों को सख्ती से पालन के निर्देश दिए। उन्होंने नियमों की अवहेलना करने वाली एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। पीडब्ल्यूडी, बीआरओ, एनएचआईडीसीएल के अधीन कई राष्ट्रीय राजमार्गों में निर्माण के दौरान निकले मलबे के निस्तारण को पूर्व में तय डंपिंग स्थलों की क्षमता के विस्तार की संभावनाओं के अध्ययन के निर्देश दिए।
उन्होंने भर चुके डंपिंग स्थलों को कंप्रेस करने की संभावनाओं पर कार्य करने निर्देश दिए। डंपिंग जोन की जरूरत के संबंध में लोक निर्माण विभाग, बीआरओ और एनएचआईडीसीएल को अपनी रिपोर्ट के संबंध में जिलाधिकारी के साथ समन्वय और संयुक्त निरीक्षण के निर्देश दिए।
सीएस ने एजेंसियों को डंपिंग के संबंध में पांच वर्षाें की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए चिह्नित भूमि के प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए। बैठक में कार्यदायी संस्थाओं ने राज्य में अगले पांच वर्षों की जरूरतों के दृष्टिगत 81.99 हेक्टेयर भूमि की मांग रखी, जिसमें वर्तमान में 55.69 और अगले पांच वर्षाें में 26.30 हेक्टेयर भूमि शामिल है।