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साइबर हमले से जूझ रहे आईटीडीए में नियुक्तियों का भी हेरफेर, फर्जीवाड़ा कर नौकरी पाने को किया बाहर

साइबर हमले से जूझ रहे सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) में विशेषज्ञों की भर्ती में बड़ा हेरफेर सामने आया है। जिन लोगों को नौकरी पर रखा गया, जब उनकी कमियां सामने आईं तो उनमें से दो को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

कुछ विवादित कर्मचारी अभी भी सेवाएं दे रहे हैं। आईटीडीए में डीजीएम के पद की जिम्मेदारी संभाल रहे राम उनियाल मूलरूप से आईटीआई के शिक्षक हैं। जब उन्हें भर्ती किया गया तो उन्होंने अपने रिज्यूम में क्वालिफिकेशन बीई जियोइंफॉर्मेटिक्स बताई। पद के लिए बीटेक आईटी या इलेक्ट्रॉनिक्स की जरूरत थी।

जब उनका चयन हुआ तो कागजों में हेरफेर करके उनके नाम के सामने योग्यता एमटेक कंप्यूटर साइंस कर दी गई। वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी नवनीत शौनक की नियुक्ति भी सवालों के घेरे में है। इस पद के लिए बीई या बीटेक के साथ पांच साल का डाटा सेंटर का अनुभव मांगा गया था, जो उनके पास नहीं है।

शौनक की नियुक्ति को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। आईटीडीए में ही मीनू पाठक नाम की महिला का चयन किया गया था, जिन्होंने 2006 में इग्नू से बीसीए किया और इसी साल दिसंबर में उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड इन एजुकेशन यूनिवर्सिटी के नाम से लगाया था।

 

विवाद होने पर इस्तीफा दिया
चयन हो गया, लेकिन जब सवाल उठे तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसी प्रकार, प्रदीप कोठियाल का चयन भी किया गया। उन्होंने अपने शैक्षिक दस्तावेजों में एक वर्षीय पीजीडीसीए और दो ग्रेजुएशन की मार्कशीट मिलाकर 65 प्रतिशत की अर्हता पूरी होती दिखाई थी। विवाद होने पर उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया।

मामले में आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया, राम उनियाल प्रतिनियुक्ति पर, जबकि नवनीत शौनक कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। मीनू पाठक व प्रदीप कोठियाल यहां कार्यरत नहीं हैं। संजीवन सूंठा आउटसोर्सिंग के माध्यम से यहां सेवारत हैं।

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