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युवक के पित्त की थैली के ऑपरेशन में लापरवाही, अब मरीज को देने होंगे 8.64 लाख, आयोग ने दिया फैसला

  • युवक के पित्त की थैली के ऑपरेशन में लापरवाही बरतने के मामले में उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग ने एक अस्पताल के डॉक्टर को 8.64 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। आयोग ने जिला उपभोक्ता आयोग के पुराने आदेश में आंशिक संशोधन करते हुए यह फैसला सुनाया है।

 

शिकायतकर्ता धर्मेन्द्र कुमार निवासी काशीपुर, जिला ऊधमसिंह नगर ने 10 जून 2010 को पेट दर्द की शिकायत के चलते कुंडेश्वरी वाले प्रगति हॉस्पिटल एवं फिजियोथेरेपी सेन्टर के डॉक्टर नरेश कुमार चौहान से संपर्क किया। जांच के बाद उनके पित्त की थैली में पथरी पाई गई, जिसका डॉ. चौहान ने ऑपरेशन किया। इसके बाद उनकी तकलीफ बढ़ती रही। पेट में पस जमा होने लगा। हालत गंभीर होने पर उन्हें अगस्त 2010 में दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां लंबे इलाज के बाद उनकी जान बची। जिसमें पीड़ित ने 18 लाख रुपये खर्च होने का दावा किया।

डॉक्टर ने जल्दबाजी में सर्जरी में लापरवाही बरती
उनकी शिकायत पर जिला उपभोक्ता आयोग ने डॉक्टर नरेश कुमार चौहान को लापरवाही का दोषी माना। पीड़ित के लिए 11 लाख रुपये चिकित्सा खर्च, दो लाख मानसिक और शारीरिक क्षतिपूर्ति व 10 हजार मुकदमा खर्च देने का आदेश दिया। राज्य उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष कुमकुम रानी और सदस्य सीएम सिंह की खंडपीठ ने इस आदेश में आंशिक बदलाव करते हुए चिकित्सा खर्च को 8.54 लाख रुपये किया है।

आयोग ने कहा है कि इस मामले में अस्पताल की ओर से ऑपरेशन की सहमति के लिए पेश किया गया फॉर्म संदेह के घेरे में रहा। फॉर्म ठीक तरीके से नहीं भरा गया था। दूसरी ओर शिकायतकर्ता के कुछ बिलों में खामियां रहीं हैं। आयोग ने अपने आदेश में कहा कि डॉक्टर ने जल्दबाजी में सर्जरी में लापरवाही बरती। आयोग ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को पॉलिसी की शर्तों के अनुसार मुआवजा राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया। बाकी मुआवजा राशि डॉक्टर नरेश कुमार चौहान को वहन करनी होगी।

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