38वें राष्ट्रीय खेलों का जो सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक खोदाई के कारण विवाद का विषय बना है, उसे छह महीने पहले ही नया बनाने की सिफारिश कर दी गई थी। लेकिन, खेल निदेशालय समय रहते फैसला नहीं ले सका।
सूत्रों के अनुसार, गत जून माह में भारतीय ओलंपिक संघ की एक टीम ट्रैक का निरीक्षण करने आई थी। टीम ने 11 साल पुराने ट्रैक को जर्जर करार देकर फिर से बनाने की सिफारिश की थी। इसके बावजूद खेल निदेशालय इसी उम्मीद में रहा कि ट्रैक की मरम्मत करवाकर काम चल सकता है। लेकिन, ऐन मौके पर गेम्स टेक्निकल कंडक्ट कमेटी (जीटीसीसी) और डायरेक्टर ऑफ कंपटीशन (डीओसी) ने ट्रैक को अयोग्य करार दिया तो उसे आनन-फानन में बनवाना निदेशालय की मजबूरी बन गया।
अमर उजाला ने ट्रैक की पड़ताल की। पूरे ट्रैक की खुदाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। जेसीबी से सिंथेटिक मलबा समेटा जा रहा था। वहां मौजूद विशेषज्ञों से पता चला कि ट्रैक का सबसे अहम हिस्सा डी-पॉइंट होता है, जो इस कदर जर्जर था कि उस पर पैच वर्क करने से लाभ नहीं होता।